रविवार, 6 अप्रैल 2008

ग्यारह बरस की लेखिका– शाद्वल


नये कदम-नये स्वर” के प्रथम अंक में आपका परिचय करवा रहे हैं – ग्यारह बरस की एक नन्हीं लेखिका से। नाम है– शाद्वल। उम्र है– 11 वर्ष। जो माउंट कारमेल स्कूल, द्वारका, नई दिल्ली की छठी कक्षा की छात्रा है। लिखने-पढ़ने और अभिनय में अभिरुचि रखती है। कई कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। देशभक्ति पर लिखित उसका एक रेडियो नाटक “सच्चा देशभक्त” आकाशवाणी, दिल्ली के ‘बाल-जगत’ कार्यक्रम के तहत प्रसारित हो चुका है। अभी हाल में “मेरी ग्यारह कहानियाँ” नाम से एक बाल-कहानी संग्रह बसंती प्रकाशन, पिलंजी, सरोजनी नगर, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ है जिसका विमोचन “18वें नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले(2–10 फरवरी 2008)” में वरिष्ठ कथाकार हिमांशु जोशी एवं वरिष्ठ कवि-ग़ज़लकार शेरजंग गर्ग ने किया। इसी पुस्तक से प्रस्तुत हैं, यहाँ दो बाल कहानियाँ–
अच्छा कौन ?
-शाद्वल

एक बार कमल का फूल गुलाब के फूल को चिढ़ा रहा था कि उसकी खुशबू तो इतनी अच्छी है लेकिन उसको कोई सूंघ ही नहीं पाता क्योंकि जैसे ही उसे सूंघने के लिए कोई जाता है, उसके हाथ में कांटा चुभ जाता है। यह बोलते-बोलते कमल का फूल जोर-जोर से ठहाका मार कर हँसने लगा। गुलाब को यह सब सुनकर बहुत बुरा लग रहा था कि भगवान ने उसे ऐसा क्यों बनाया। वह उदासी भरे मन से अपनी माँ के पास जाकर रोने लगा।
जब गुलाब के फूल की माँ ने उससे पूछा कि क्या बात थी तो उसने सब वैसा ही बता दिया जैसा हुआ था। यह सब सुनकर गुलाब की मम्मी को हँसी आ गई, और वह बोली– “बस, इतनी-सी बात है ! फिर उन्होंने उसे प्यार से समझाया, “ये कांटे उसको नहीं चुभते जो हमें सूंघने आते हैं। यह उन्हें चुभते हैं जो हमें तोड़ने आते हैं और बचाव के लिए कांटे रखना कोई बुरी बात नहीं।"
गुलाब के फूल को अब समझ में आ रहा था कि कमल के फूल ने उससे गलत कहा था। फिर गुलाब की मम्मी बोली– “जब किसी को अपने प्यार का इजहार करना हो, किसी का जन्मदिन हो या किसी की ऐनवर्सरी हो, उन्हें गुलदस्ते में ज्यादातर गुलाब का फूल ही मिलता है। गुलाब के फूल के तो कई रंग भी होते हैं, जैसे - लाल, पीला, सफेद और काला आदि। कमल के फूल के पास तो एक ही रंग होता है- गुलाबी। गुलाबी शब्द भी गुलाब से बना है।"
अब बेबी गुलाब को समझ आने लगा कि वह कितना ज़रूरी है। उसने सोच लिया कि अब वह कमल के फूल से जाकर बदला लेगा। वह एकदम से उठा और जाने लगा, लेकिन उसकी माँ ने उसे रोक लिया और बोली– “अगर कमल ने गलत काम किया तो क्या उसे चिढ़ा कर तुम भी गलत काम करना चाहते हो ?”
गुलाब के फूल को कुछ समझ नहीं आया कि क्या करना चाहिए। माँ से पूछने पर उसकी माँ ने उसे बताया– “ऐसा नहीं है कि सारी अच्छाई गुलाब के फूल में ही है, कुछ अच्छाई कमल के फूल में भी है। भले हम उसे गुलदस्ते में नहीं डालते लेकिन उसकी खुशबू का जवाब नहीं और उसकी खुशबू जितनी अच्छी है वह उतना ही सुंदर भी होता है। कमल की जो डंडी होती है, उसे कमल-ककड़ी कहते हैं, जिसकी सब्जी भी बनती है, और उसका स्वाद लाजवाब होता है। इन्हीं सब के साथ-साथ उसकी भी कुछ बुराई होती है जैसे– वो कीचड़ में उगता है, आदि।"
जब गुलाब के फूल ने यह सुना तो उसे लगा कि उसकी माँ ने ठीक ही कहा कि कोई भी चीज बिलकुल सही नहीं होती। उसमें भी कुछ न कुछ कमी होती है। गुलाब का फूल कमल के फूल के पास गया और उसे वह सब बता दिया जो उसकी माँ ने उसे बताया था। जब कमल के फूल ने यह सब सुना तो उसको गुलाब के फूल की बात में दम लगा और उसने गुलाब को गले से लगा लिया और उससे माफी मांगी। अब वे दोनों रोज मिलते हैं और उन दोनों की गहरी दोस्ती आज भी पूरे जंगल में मशहूर है।

बहादुर लड़कियाँ
-शाद्वल

मीना और रेनू बहुत अच्छी सहेलियाँ थीं। वे जो भी काम करतीं, एक साथ करतीं। जब देखो मीना, रेनू के घर पर होती, फिर पांच मिनट के बाद देखो तो रेनू, मीना के घर पर होती। एक दिन गेम्स का पीरियड था तो सर ने फुटबाल खिलाया तो दोनों अलग-अलग टीम में हो गईं और रेनू जीत गई। उसने मीना को चिढ़ाना शुरू कर दिया। मीना को अच्छा नहीं लगा। उसने उससे बात करना छोड़ दिया।
रेनू को जब ये लगा कि मीना ने उससे बात करना छोड़ दिया है तो उसको अपनी गलती समझ में आई। उसने कई बार मीना से माफी मांगने की कोशिश की, मगर मीना हमेशा मुँह घुमा के चल देती। परेशानी तो दोनों को ही हो रही थी। लंच किसी के भी साथ शेयर नहीं कर सकते। छुट्टी के समय अकेले घर जाना पड़ता था। कोई भी खेल नहीं पा रहा था। अकेले कैसे खेलते ?
एक दिन जब रेनू स्कूल से वापस आ रही थी तो उसने देखा कि कुछ लोग मीना को जबरन पकड़कर ले जा रहे हैं। जब उसने यह देखा तो वह चिल्लाने ही वाली थी कि उसे याद आया कि मीना से तो उसकी दोस्ती टूट हुई है। लेकिन, फिर भी उससे रुका नहीं गया। वह ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्लाई और आगे बढ़ गई। इतने में कुछ लोग आ गए और उन बदमाशों को मारना शुरू कर दिया।
तब तक रेनू वहाँ आ गई। उसने एक आदमी को पीछे गिरा दिया। एक के पैर को खींच लिया। वह खड़ा नहीं रह सका। वह भी नीचे गिर गया। बस, फिर क्या था, मीना ने एक को धक्का दिया और वह भी गिर पड़ा। जब तक वे लोग उठते और उन दोनों को पकड़ते तब तक वे दोनों बहुत दूर जा चुकी थीं। फिर जब दोनों घर पहुँची तो देखा कि मम्मी और पापा बहुत परेशान हो रहे थे। जब उन्होंने पूछा कि क्या हुआ तो रेनू ने सारी बात बता दी।
जब उसके पापा को यह पता चला तो उन्होंने सीधा पुलिस को फोन कर दिया और सब कुछ बता दिया। मीना को बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि रेनू ने उसकी जान बचाई और वे दोनों फिर से वैसी ही सहेलियाँ बन गई, जैसे वे पहले थीं। रेनू ने मीना से माफी मांग ली और वे खुशी के दिन फिर वापस आ गए।
दो-तीन दिन के बाद पुलिस का फोन आया और उन्होंने बताया कि बदमा्श पकड़े गए हैं। वे मीना को इसलिए पकड़ना चाहते थे ताकि उसके पापा से कुछ पैसे लेकर मीना को छोड़ दें, इस तरह उनके पास बहुत पैसा हो जाता। लेकिन अब चिंता करने वाली कोई बात नहीं थी क्योंकि अब वे जेल में थे। जब और लोगों ने यह सुना तो वे खुश हो गए।

संपर्क :
317,गुरू अपार्टमेंट्स
प्लॉट नं0 2, सेक्टर–6
द्वारका, नई दिल्ली–110075
दूरभाष : 011–28082534

24 टिप्‍पणियां:

Sanjeet Tripathi ने कहा…

वाह क्या बात है!!
बहुत खूब!!
शुभकामनाएं।

कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन की बाध्यता हटाएंz

सुनीता शानू ने कहा…

इतनी छोटी सी उम्र में इतनी जबरदस्त प्रतिभा...सचमुच बहुत अच्छा लगा...दोनो ही कहानियाँ ज्ञानवर्धक है...बहुत-बहुत बधाई...और आपके माता-पिता को शुभ-कामनाएं जिन्होने आप जैसी प्रतिभा को जन्म दिया...
दिल से आभार

बेनामी ने कहा…

PRIYA RICHA

APKA BLOG DEKHA..ACHHA LAGA....HAR BAAR KHUB MEHNAT KIYA KAREIN...HINDI KE LIYE AAPKA YOGDAN AMULYA HAI

AAPKA

S.R.HARNOT
SHIMLA HIMACHAL
098165 66611

बेनामी ने कहा…

Hi Richa,
went through your blog..let me tell you it is so beautiful...and your writings too...
thanks for sharing...
Regards

SUNIL SAHIL (Poet-Writer)

Alpana Verma ने कहा…

bahut khuub!
bas aise hi likhti raho

बेनामी ने कहा…

नए कदम नए स्वर के लिए बधाई !
आप इस क्षेत्र में नई ऊँचाइअयाँ स्पर्श करें !
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

बेनामी ने कहा…

Dear Richa ji,
Congratulations for your success. I would love to visit your site regularly.
Syed Jawaid Hasan :
www.yepal.blog.co.in

बेनामी ने कहा…

Shradheya Samapadak ji sadar namaskar,
Apke nayey kadan aur nayey Swar dekhe man ko chu gayey. 11 varshiye Shadhal ke kahani ko parh kar mujhe vishwas ho gaya ki hindi ka bhishya ujjwal hai. Is nanhi si bacchi ne kuch karna hai hindi me. Kaya mai iski kahani apne Agle ank me prkashit karne ki anumati prapt kar sakta hun? Aur sath hi uska Parichaya bhi janana chata hun.
-Shiam Tripathi
hindichetna@yahoo.ca

बेनामी ने कहा…

Vah ! kamal hai. Richa ji apne "naye Kadam-naye Swar" blog to leek se hatkar banaya hi hai, blog ke pahle hi ank me itni sunder man ko prabhavit karne vali samagri dekar aur bhi man prasann kar diya. Blog ki duniya me Kam kar rahe un bloggers ko aapse seekh leni chahiye, jo kuchh naya na karke leek hi peet rahe hain. Khair, Barah baras ki lekhika -Shadual ka srijan aur sahit ki duniya mein swagat hai. Is nanhi lekhika ki pratibha ek din zarur rang layegi, aisa mera vishvas hai. Ek bar phir apko aur shadual ko badhai.
-Anant kumar

बेनामी ने कहा…

Sunder ! ati sunder Richa ji. "Barah baras ki is chhoti si lekhika" Shadual ka duniya bhar ke net premiyon se parichay karane ke liye dhanyawad.
-Saroj, USA

Divine India ने कहा…

होनहार के कर्म ही बतला देते हैं…
प्रतिभा से मिलवाने का शुक्रिया…।

बेनामी ने कहा…

hum to fan h gaye is bachhi ke :-)

अबरार अहमद ने कहा…

बहुत अच्छा। इतनी छोटी उम्र और यह प्रतिभा। लिखते रहो।

सुजाता ने कहा…

अच्छी शुरुआत ! बधाई !

DUSHYANT ने कहा…

ye asmaa zameen par naa utar aaye kaheen ,dar lagtaa hai tweree raftaar dekhkar

ॠचा ने कहा…

"नये कदम-नये स्वर" की पहली ही पोस्ट का इस प्रकार से स्वागत होगा, सच पूछो तो मैंने नहीं सोचा था। आप सबके स्नेह-प्यार और प्रोत्साहन के लिए मै आपकी आभारी हूँ। आशा है, आप का यह स्नेह-प्यार भविष्य में भी बना रहेगा।

रूपसिंह चन्देल ने कहा…

Richa 'Naye kadam-Naye swar' blog ke pahale issue me tumane jo kamal kiya hai voh is disha me tumhare bahut kuchh kar gujarane ke prati aashvast karata hai.

Badhai.

Dr.Chandel

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर.
पर ऐसे ही जमी रहना
ग्‍यारह हो
नौ दो ग्‍यारह मत हो जाना.
अपना साहित्‍य सफर
इसी तरह परवान चढ़ाना.

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा…

नए कदम नए स्वर के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.
आपका प्रयास प्रशंसनीय है.

बेनामी ने कहा…

****************************************************** 'Naye Kadam - Naye Swar' ki shuruat meri kahaniyon se hui, mujhe bahut achchha laga. Itne sare comments pakar mera hausla bahut badha hai. Main Richa didi ko bahut thanks karti hoon jinhone apne blog se meri kahaniyon ko dur-dur tak pahunchaya hai. Pehle to main aise hi likhti thi, magar ab mujhe aur likhne ka man karta hai. Is blog se jude sabhi logon ko very many thanks. -- SHADUAL, Class-7, Mount Carmel School, Dwarka, New Delhi - 110075. Phone:011-28082534 ******************************************************

सतपाल ख़याल ने कहा…

Shubh kaamnayeN Reecha jii,
Agar aap blog ka chahra thoDa badal leN to achcha rahega .Black background me strain sa rahta hai paRte vaqat.

Baaki kavitaeN achii lagii.
saadar
sat pal khyaal

सतपाल ख़याल ने कहा…

Shubh kaamnayeN Reecha jii,
Agar aap blog ka chahra thoDa badal leN to achcha rahega .Black background me strain sa rahta hai paRte vaqat.

Baaki kavitaeN achii lagii.
saadar
sat pal khyaal

सतपाल ख़याल ने कहा…

Shubh kaamnayeN Reecha jii,
Agar aap blog ka chahra thoDa badal leN to achcha rahega .Black background me strain sa rahta hai paRte vaqat.

Baaki kavitaeN achii lagii.
saadar
sat pal khyaal

shubhra ने कहा…

नन्हें पंखों की उड़ान सफलता के गगन को जरूर छुयेगी। ढ़ेरो शुभकामनायें शाद्वल।
इतनी अच्छी जानकारी के लिए आप बधाई की पात्र है। धन्यवाद